जयपुर । जयपुर एक बार फिर सावन की भक्ति में सराबोर है हर गली, हर मोड़, हर रास्ते से निकल रही है हर-हर महादेवÓ की गूंज. यह नज़ारा है गलताजी का, वो पावन स्थल जहां से आरंभ होती है कावड़ यात्रा. श्रद्धालु यहां की पवित्र धारा से जल भरते हैं और निकल पड़ते हैं भगवान शिव के दरबार की ओर. सावन का पवित्र महीना और भोले बाबा की भक्ति में लीन भक्तों के कंधों पर कांवड़, होठों पर भजन और दिल में आस्था की गहराई दिखाई दे रही है।
जयपुर की गलियों से गलता जी की पहाड़ियों तक हर ओर बस भोलेबाबा की आराधना की तस्वीरे देखी जा रही है यह वो पावन क्षण है, जब श्रद्धालु गलता जी की निर्मल धारा से पवित्र जल भरते हैं. ये जल सिर्फ पानी नहीं ये श्रद्धा है, तप है, और भोलेनाथ से जुड़ने का संकल्प. कंधों पर कांवड़ का भार नहीं, बल्कि आस्था की जिम्मेदारी है. नंगे पांव चल रहे कांवड़िए, किसी के माथे पर तिलक, किसी के होंठों पर बोल बम तो कोई डमरू की थाप पर झूमता चल रहा है. हर गली से उठती हर-हर महादेव की जयध्वनि, हर मोड़ पर गूंजता बोल बमÓ का उद्घोष, मानो स्वयं शिव तांडव कर भक्तों का मार्ग प्रशस्त कर रहे हों. गलता जी की पावन धारा से पवित्र जल भरकर भक्तजन नंगे पांव शिवधाम की ओर बढ़ रहे हैं. हाथों में डमरू, माथे पर तिलक और आंखों में श्रद्धा का उजाला दिख रहा है. यह दृश्य मात्र एक यात्रा नहीं, एक तप है — जो भगवान शंकर को समर्पित है।