उपभोक्ताओं के लिए खुशखबरी: डार्क पैटर्न पर सीसीपीए की सख्ती, शोषण पर लगेगी लगाम

केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) ऐसे ऑनलाइन मंचों के खिलाफ सख्ती बरत रहा है जो डार्क पैटर्न का उपयोग कर ग्राहकों को चूना लगा रहे हैं। हाल ही में प्राधिकरण ने एक लोकप्रिय ऑनलाइन टिकट बुकिंग प्लेटफॉर्म को नोटिस जारी किया है, जो अपने ऐप पर टिकट बुक करते समय ग्राहकों से एनजीओ को दान के नाम पर 1 रुपया ले रहा था।
एक सरकारी अधिकारी ने बताया, ‘यह उपभोक्ता अधिकारों का स्पष्ट उल्लंघन है, जहां ग्राहक के पास राशि का भुगतान करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है, भले ही वह राशि कितनी भी छोटी क्यों न हो। हमने यह भी देखा है कि प्लेटफॉर्म ने यह खुलासा नहीं किया कि दान की राशि कहां जा रही है या इसका उपयोग कैसे किया जा रहा है।’ अधिकारी ने बताया कि इस साल की शुरुआत में नोटिस मिलने के बाद ऑनलाइन प्लेटफॉर्म ने अपने इंटरफेस में बदलाव किया है, जिससे ग्राहक यह विकल्प चुन सकते हैं कि वे दान करना चाहते हैं या नहीं।
किसी भी प्लेटफॉर्म पर यूआई/यूएक्स (यूजर इंटरफेस/यूजर एक्सपीरियंस) इंटरैक्शन का उपयोग कर प्रथा या भ्रामक डिजाइन को डार्क पैटर्न कहा जाता है। ये उपयोगकर्ताओं को कुछ ऐसा करने के लिए गुमराह या धोखा देने के लिए डिजाइन किए गए हैं, जो वे मूल रूप से करना नहीं चाहते थे। ये डार्क पैटर्न अनुचित व्यापार प्रथाओं को बढ़ावा देते हैं। इसलिए इन्हें उपभोक्ता अधिकारों का उल्लंघन माना जा सकता है।
उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म और ऑनलाइन पोर्टलों द्वारा डार्क पैटर्न के उपयोग को समाप्त करने की दिशा में काम कर रहा है। पिछले साल सरकार ने डार्क पैटर्न के उपयोग पर अंकुश लगाने के लिए दिशानिर्देश जारी किए थे, जिनमें ‘बास्केट स्नीकिंग’ और ‘कन्फर्म शेमिंग’ जैसे पैटर्न शामिल हैं।
बास्केट स्नीकिंग से तात्पर्य किसी प्लेटफॉर्म से चेकआउट करते समय उपयोगकर्ता की सहमति के बिना उनसे अतिरिक्त वस्तुओं जैसे उत्पादों, सेवाओं, दान/डोनेशन के लिए भुगतान को बाध्य करना है, जबकि कन्फर्म शेमिंग का अर्थ किसी वाक्यांश, वीडियो, ऑडियो या किसी अन्य माध्यम का उपयोग कर उपयोगकर्ता के मन में डर, शर्म, उपहास अथवा अपराधबोध की भावना पैदा करने से है, ताकि उन्हें एक निश्चित तरीके से कार्य करने के लिए प्रेरित किया जा सके।